द फॉलोअप डेस्क
संसद के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार को कुड़मी समुदाय को ST सूची में शामिल करने का मुद्दा उठा है। इसे लेकर गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने लोकसभा में पूछा कि कुड़मी को एसटी की सूची में क्यों नहीं शामिल किया गया। इस पर गिरिडीह सांसद ने जनजातीय मंत्री जुएल उरांव से जानना चाहा कि आखिर किन कारणों से कुड़मी समुदाय को 1931 के ट्राइब्स में शामिल होने के बावजूद 1950 में शेड्यूल ट्राइब्स नहीं बनाया गया। चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा कि अखंड भारत में पहली जनगणना में कुड़मियों/कुरमी को झाड़ी ट्राइब्स और वुड ट्राइब्स चिह्नित किया गया था। इसके बाद ही वृहद छोटानागपुर शेड्यूल जिला घोषित कर शेड्यूल डिस्ट्रिक्ट एक्ट 1874 पारित किया गया था। बता दें कि यह एक्ट 25 नवंबर 1949 तक लागू था। वहीं, 1911 की जनगणना में कुड़मी को आदिवासी लिखा गया। फिर इन्हें भी कुड़मी आदिवासी रैयत होने के कारण अन्य 12 जनजाति के साथ 1913 में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1965 से अलग रखा गया।